योग का सही अर्थ है आत्मा से परमात्मा का मिलन – नवीन वागद्रे
योग क्या है ? योग दिवस के अवसर पर प्राकृतिक चिकित्सा योग में अध्यनरत डॉ नवीन वागद्रे ने बताया की वर्तमान की स्थिति में अक्सर लोग योग का मतलब आसान प्राणायाम समझते है।
बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आज लोग योग के नाम पर अपने शरीर को स्प्रिंग बनाने में लगे हुए है, अपने शरीर को खींच खींचकर स्प्रिंग बनाना आज का ट्रेंड चल रहा है स्वस्थ रहने के लिए हमें विभिन्न प्रकार के आसन करना चाहिए जिनमें स्ट्रेचिंग भी शामिल है यह योग का एकमात्र हिस्सा है जिसे लोगों ने योग समझ लिया । महर्षि पतंजलि ने योग सूत्र में किसी आसन का नाम नहीं बताया उन्होंने कहा कि योग: चित्त वृत्ति निरोध: चित्त की वृत्तियों को चंचल होने से रोकना ही योग बताया है। मन को इधर-उधर भटकने ना देना केवल एक ही वस्तु में स्थित रहना ही योग है।
योग संस्कृत भाषा के यूज़ धातु से बना है जिसका अर्थ होता है जोड़ अर्थात आत्मा का परमात्मा से मिलन योग एक स्वस्थ समृद्ध प्रकृति सील सभ्य उन्नत भव्य एवं जीवन का पथ है इसका संबंध मात्र कुछ योगिक प्रक्रिया एवं अभ्यासो से ही नहीं है अपितु श्रेष्ठतम दिव्य आचरण या दिव्य जीवन जीना ही योग का अंतिम ध्येय है। बीमारियों बुराइयों एवं तनाव आदि से मुक्त स्वस्थ सुखमय एवं शांतिमय जीवन यह योग का एक पहलू है। जबकि योगी व्यक्ति सब अज्ञान एवं अज्ञानजनित दोषो एवं समस्त दोषपूर्ण प्रवृत्तियों व दुखों से मुक्त हो जाता है यही निर्वाण मोक्ष या मुक्ति है।
महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग में यम, नियम ,आसन ,प्राणायाम ,प्रत्याहार ,धारणा, ध्यान और समाधि द्वारा मोक्ष प्राप्त करने के रास्ते बताएं है। अगर मनुष्य इन आठ अंगों में से यम और नियम का भी सही से पालन कर ले तो उसका जीवन बदल सकता है और फिर वह सहज ही बाकी के अंगों को भी प्राप्त कर लेता है।